भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रश्न अमूर्त / गीत चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:01, 7 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गीत चतुर्वेदी |संग्रह= }} <Poem> शकरपारे की लम्बी डल...)
शकरपारे की लम्बी डली को छाँपे चिपकी चीटियाँ हैं
या सन 47 में बँट गई ज़मीन के उस पार से आती
ठसाठस कोई ट्रेन
००
सबसे बड़ा छल इतिहास के साथ हुआ
इतिहास के नाम पर इतिहास के खिलाफ़
याददाश्त बढ़ाने की दवा बहुत बन गई
कोई ऎसी दवा बनाओ जिससे भूल जाया जाए सब
००
उस प्रोटान की मज़बूरी समझो
जो चाहे जितनी बगावत कर ले
रहना उसे इलैक्ट्रान के दायरे में ही है
निरन्तर भटकन की अभिशप्त गति से
अपने ही पानी में डूब गया
कोई बदबख़्त समुद्र
००
एक दिन जब मर चुकी होगी मेरी भाषा
किस भाषा में पढ़ोगे तुम मेरी भाषा का मर्सिया
इसकी तस्वीर पर टंगे फूल को कहोगे
किस भाषा में कौन सा फूल?