भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सपने / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:43, 18 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एन गिल |एक और दिन / अवतार एन गिल }} <poem> मुझसे अ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझसे अलग हुए जब सपने।
बेगाने हो गये सब सपने।

तुमको देखा तो यह जाना,
कि कैसे होते हैं सपने।

रुकना, दोनो साथ चलेंगे,
आख़िर हो तो मेरे सपने।

सपने से सपना यूँ बोला,
सच तो यह है हम हैं सपने।

जब मैं उनके पीछे भागा,
आगे-आगे भागे सपने।

मैं तो नंगे पाँव खड़ा था,
पँख लगाकर उड़ गये सपने।