भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तीन अपाहिज / गिरधर राठी
Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:59, 28 अप्रैल 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गिरधर राठी }} <poem> कुल जमा तीन पात्र होंठ, कान, आँख ...)
कुल जमा तीन पात्र
होंठ, कान, आँख
तीनों अपंग
नेपथ्य हाथ भाँजता रह गया