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कविता / मुकुटधर पांडेय

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कवि: मुकुटधर पांडेय

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कविता सुललित पारिजात का हास है,

कविता नश्वर जीवन का उल्लास है ।

कविता रमणी के उर का प्रतिरूप है ,

कविता शैशव का सुविचार अनूप है ।

कविता भावोन्मतों का सुप्रलाप है,

कविता कांत-जनों का मृदु आलाप है ।

कविता गत गौरव का स्मरण-विधान है,

कविता चिर-विरही का सकरुण गान है ।

कविता अंतर उर का वचन-प्रवाह है,

कविता कारा बद्ध हृदय की आह है ।

कविता भग्न मनोरथ का उद्गार है,

कविता सुंदर एक संसार है ।

कविता वर वीरों का स्वर करवाल है,

कविता आत्मोद्धारण हेतु दृढ़ ढाल है ।

कविता कोई लोकोत्तर आल्हाद है,

कविता सरस्वती का परम प्रसाद है ।

कविता मधुमय-सुधा-ललित की है घटा,

कविता कवि के एक स्वप्न की है छटा ।


(चन्द्रप्रभा, 1917 में प्रकाशित)