भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
समय / कविता वाचक्नवी
Kavita Kosh से
चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:33, 6 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता वाचक्नवी }} <poem> '''समय''' समय बरसात के पानी में ...)
समय
समय
बरसात के पानी में मिल
मटिया गया
किसी गढ्ढे में,
दिन-रात
जम गए काँच पर
धुँध बनकर
उंगलियों ने नाम
लिखे होंगे बहुत
कभी रेत पर
काँच पर कभी।