भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

म्हारो प्रणाम / मीराबाई

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:50, 24 जून 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

म्हारो प्रणाम बांकेबिहारीको।
मोर मुकुट माथे तिलक बिराजे।
कुण्डल अलका कारीको म्हारो प्रणाम
अधर मधुर कर बंसी बजावै।
रीझ रीझौ राधाप्यारीको म्हारो प्रणाम
यह छबि देख मगन भई मीरा।
मोहन गिरवरधारीको म्हारो प्रणाम