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प्रेमकथा-4 / शुभा
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यहाँ किसी को बांधकर यातना दी जा रही है
इच्छाओं के भ्रूण फेंके जा रहे हैं
ताज़ा ख़ून की गंध से हवा बोझिल है
एक चीख़ उठकर दौड़ती है
जैसे बाहर निकल भागना चाहती है
फिर डूब जाती है अंधेरे में
उसकी गूँज अटकी रहती है
हवा में धीमे-धीमे हिलती हुई