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अभी / विश्वनाथप्रसाद तिवारी
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कुछ शब्द लिखे जाएंगे अभी
कुछ बच्चे पैदा होंगे अभी
कुछ सपने नींद में नहीं आए अभी
कुछ प्रेम कथाएँ शुरू नहीं हुईं अभी
कुछ रंग फूलों में नहीं उभरे अभी
कुछ किरणें धरती पर नहीं पहुँची अभी
असंभव नहीं कि रह जाए वही
जो नहीं है अभी।