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पानी-सा / विश्वनाथप्रसाद तिवारी
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पानी का जीवन
प्रभु, पानी-स
ढुलक पड़े जहाँ भी
अपनी राह बनाता
पानी-सा
भरता रंग वनस्पतियों में
फूलों में गंध
रेती को करता नम
हिम को तरल
धरती की कोख में गूँजता
अनन्त रूपों में
अनन्त द्वीपों में सौंपता अपने को
निरभिमान
पानी का जीवन
प्रभु, पानी-सा।