भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख़ामोश आदमी / सुदर्शन वशिष्ठ

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:23, 23 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=अलगाव / केशव }} {{KKCatKavita}} <poem>ख़ामोश आदमी क...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ख़ामोश आदमी का चेहरा
बहुत ख़तरनाक
बारूद की तरह
बोलेगा तो फटेगा
ख़ामोश आदमी
एक ज्वालामुखी
ख़ामोश आदमी
अपने भीतर छिपाए रखता
सभी दुख
सभी दर्द
अवसाद
अपमान
कहेगा
तो दूर तक कौंध जाएगा।

ख़ामोश आदमी
गहरा काला बादल
बरसेगा तो तोड़ देगा तटबन्ध
ख़मोश आदमी को चाहिए
माटी की सौंधी ख़ुश्बू
गुनगुनी धूप।