भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तानाशाह / अरविन्द श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:45, 8 सितम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुनता है तानाशाह
टैंकों की गड़गड़ाहट में
संगीत की धुन
फेफड़े को तरोताज़ा कर जाती है
बारुदी धुएँ की गंध
उसके लिए नींद लाती है
धमाकों की आवाज़

तानाशाह खाता है
गाता है
और मुस्कुराता है

तानाशाह जब मुस्कुराता है
लोग जुट जाते है
मानचित्रों पर
किसी तिब्बत की तलाश में !