भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वह आया / अशोक वाजपेयी
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:28, 16 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक वाजपेयी |संग्रह=कुछ रफ़ू कुछ थिगड़े / अशोक ...)
वह आया
देवताओं ने मार्ग बुहारा,
पंक्तिबद्ध खड़े हो गए दोनों ओर देवदूत,
आकाश हुआ नील-उज्जवल,
पृथ्वी पुण्यप्रसू,
जब वह आया
जिसे बाद में कहा गया मनुष्य।
फिर आया जीवन फिर आई मृत्यु।