भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नगरपालिका वर्णन / काका हाथरसी
Kavita Kosh से
शैलेश भारतवासी (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 20:10, 31 अक्टूबर 2006 का अवतरण
लेखक: काका हाथरसी
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
पार्टी बंदी हों जहाँ , घुसे अखाड़ेबाज़
मक्खी , मच्छर , गंदगी का रहता हो राज
का रहता हो राज , सड़क हों टूटी - फूटी
नगरपिता मदमस्त , छानते रहते बूटी
कहँ ‘ काका ' कविराय , नहीं वह नगरपालिका
बोर्ड लगा दो उसके ऊपर ‘ नरकपालिका '