भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पा नहीं सकते / अभिज्ञात
Kavita Kosh से
दूर हम तुमसे जा नहीं सकते
शर्त ये भी है पा नही सकते
किसी को अपने आँसुओं का सबब
लाख चाहे बता नहीं सकते
जिस पे लिक्खी है इबारत कोई
हम वो दीवार ढा नही सकते
उसको रिश्तों से है नफ़रत शायद
कोई रिश्ता बना नहीं सकते