भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रंग महल / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:27, 7 नवम्बर 2009 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अभी-अभी
चम्बा के द्वारों पर
श्यामल 'सांझ' उतरी है
भीगे धुंधलके में
रंग महल के सिलवटों भरे माथे तले
लगा सिंह मुख----
पेड़ के गोल ठूंठ--सा


मदन की मिट्टी में
अनुभव का बीज़
युगों के जिस्म में
रक्त-बीज बना
गर्भ धारण किय्आ है
धरती ने

हवा की हलकी
बहुत हलकी पदचाप के साथ
कोई अनाम महक
रंग-महल के निकट भटकती है
रक्त-बीजों की आभा
सिल्वटों भरे माथे पर दमकती है।