भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बीज / इब्बार रब्बी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:26, 9 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं आदिम अंधेरे में
बीज की तरह
सुगबुगाना चाहता हूँ
आकाश और पृथ्वी से बाहर
माँ के गर्भ में
एक बूंद की तरह
आँख मलना चाहता हूँ
मैं एक महान नींद से
भयंकर आनन्द और
विस्मय में जगना चाहता हूँ।

रचनाकाल : 11.12.1976