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घरौंदा / निशा भोसले
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लड़की
बनाती है
घरौंदा रेत का
समुंदर के किनारे
बुनती है सपने
सपने सुनहरे भविष्य के
घरौंदे के साथ
चाहती है समेटना
रेत को
अपनी मुठ्ठियों में
बांधती है सपने को
घरौंदे के साथ
टूटता है बारबार
घरौंदा
अपने आकार से
लड़की सोचती है
रेत/घरौंदा और
सपनों के बारे में
टूटते है क्यूँ ये सभी
बार-बार ज़िन्दगी में।