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विवाह / रामधारी सिंह "दिनकर"

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(१)
शादी वह नाटक अथवा वह उपन्यास है,
जिसका नायक मर जाता है पहले ही अध्याय में।

(२)
शादी जादू का वह भवन निराला है,
जिसके भीतर रहने वाले निकल भागना चाहते,
और खड़े हैं जो बाहर वे घुसने को बेचैन हैं।

(३)
ब्याह के कानून सारे मानते हो?
या कि आँखें मूँद केवल प्रेम करते हो?
स्वाद को नूतन बताना जानते हो?
पूछता हूँ, क्या कभी लड़ते-झगड़ते हो?