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उदासी / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
क्षण भर को
धुएँ में से सूरज का चमकना
और उस पर तत्काल
रूई से सफ़ेद बादल का तैर जाना
मुझे याद है तेरा उदास रहना