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मुखौटा / महेश सन्तुष्ट
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एक
नंगा आदमी
संसद में जाता है
और
बड़ी बारीकी से
आदमी का मुखौटा ओढ़कर
बाहर आता है।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : दीनदयाल शर्मा