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सत्य की नग्नता / एल्युआर
Kavita Kosh से
"मैं उसे जानता हूँ बहुत खूब"
निराशा के पंख नहीं होते
न होता है प्यार का चेहरा कोई
न वे बात करते हैं
न मैं हिलता हूँ
न देखता हूँ उन्हें
न बातें ही करता हूँ उनसे
फिर भी
कहीं अधिक जीवित हूँ
अपने प्यार
अपनी निराशा से मैं।
मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी