भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्षमा / गिरिराज किराडू
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:42, 5 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरिराज किराडू }} {{KKCatKavita}} <poem> कौन क्षमा करेगा मुझे…)
कौन क्षमा करेगा मुझे
जब क्षमा मांगना ही पराभव या पस्ती हो गया हो
मैं यह लिख रहा हूँ और आसमान मज़ाक उड़ा रहा है मेरा
देखो लिख रहा है मूर्ख बस क्षमा मिल जाए
सबसे अग्नि कहने से मुँह नहीं जलता
क्षमा लिखने से क्षमा नहीं मिलती मूर्ख