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ग़ुस्सा / अरुण साखरदांडे

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मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अरुण साखरदांडे  » ग़ुस्सा

मैं तुम पर बहुत ग़ुस्सा हूँ
अब तो मैंने तय कर लिया है
सितारों की नक़्क़ाशी की हुई, आसमानी रंग की रेशमी साड़ी
जो मैं तुम्हारे लिए लाया था,
वह तुम्हें क़तई नहीं दूंगा

तुम्हें बताए बग़ैर
मैंने तुम्हारे लिए वज्र के कर्णफूल बनवाने को दिए थे
कल जाकर सुनार से वह लेता आऊँगा,
पर सीधे जाकर बैंक के लॉकर में रख दूंगा
और चाबी भी कहीं छिपा दूंगा

कल तुम्हारी सहेली के जन्मदिवस पर
तुम्हारे साथ बिल्कुल नहीं चलूंगा
तुमने कल जई के फूल लाने के लिए कहा है,
हज़ारों की संख्या में खिले हों फूल तब भी
तुम्हारे लिए एक भी जई नहीं लाऊंगा

परसों तुम्हारे साथ पिकनिक जाने का
प्रोग्राम कैंसल
आज शाम तुम्हारे साथ घूमने-निकलने
और लाल गुलाब लेकर
तुम्हारे बालों में लगाने का ख़्वाब भी भूल जाओ तुम

तुम आँखों में कजरा डालो
या चेरी ब्लॉसम ब्लैक
तुम्हारी आँख में आँख डालकर नहीं देखूंगा

और हमारी गाड़ी से, इधर-उधर
तुम्हारे इतराने के लिए
मिलता हो तो ढूँढ़ लो कोई दूसरा मुफ़्त का ड्राईवर
अपने पैसों से पैट्रोल डलवाने वाला

मेरी पसंदीदा झींगा मछली की कढ़ी
और किंगफ़िश का कतला तलने पर भी
आज मैं खाना नहीं खाऊँगा

होता क्या है?
जब मुझे ग़ुस्सा आता है
तब बड़ी ज़ोरों की भूख लगती है
गरमा-गरम चावल के साथ, झींगा मछली की,
अंबिया डालकर बनाई गई खट्टी-तीखी कढ़ी
और किंगफ़िश का तला हुआ करारा कतला
अब किस रेस्तराँ में मिलेगा?


मूल कोंकणी से अनुवाद : सोनिया सिरसाट