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मैं आया / तलअत इरफ़ानी

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मैं आया
बिछ्ड़ते वक़्त
पिछली मर्तबा उसने कहा था
"तुम ज़रूर आना !"
कहा था
"वक्त मिलते ही ज़रूर आना!"
मैं आया
किस तरह आया
न जाने किस तरह आया?
मगर अब
उसकी आंखों से
मेरी पहचान गायब है
कहाँ जाऊं?
मैं जाऊं?
लौट जाऊं?
लौटना मेरा मुक्कद्दर है।
मगर, ऐ काश !
बस इक बार वह आंखें उठा कर देख ले
और सिर्फ़ इतना पूछ ले मुझसे
"तुम आए हो ?"
के पिछली मर्तबा उसने कहा था
"तुम ज़रूर आना!"