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चलते-चलते / मुकेश मानस
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चलते-चलते
इस रास्ते पर
मुझे कई दरवाजे मिलेंगे
छोटे-बड़े, हल्के-भारी
किसी पर मिलेगी खुशी
किसी पर ख्वारी
देखूं कितने दरवाजे
खोल पाता हूं मैं
इस भीड़ में
कहां जाता हूं मैं
रचनाकाल:1989