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Lotus-48x48.png  सप्ताह की कविता   शीर्षक : घमासान हो रहा
  रचनाकार: भारतेन्दु मिश्र
आसमान लाल-लाल हो रहा
धरती पर घमासान हो रहा।

हरियाली खोई है
नदी कहीं सोई है
फसलों पर फिर किसान रो रहा।

सुख की आशाओं पर
खंडित सीमाओं पर
सिपाही लहूलुहान सो रहा। 

चिनगी के बीज लिए
विदेशी तमीज लिए
परदेसी यहाँ धान बो रहा।