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Lotus-48x48.png  सप्ताह की कविता   शीर्षक : जो मिरा इक महबूब है
  रचनाकार: अरुणा राय
जो मिरा इक महबूब है । मत पूछिए क्या ख़ूब है 
आँखें उसकी काली हँसी, दो डग चले बस डूब है 
पकड़ उसकी सख़्त है  पर छूना उसका दूब है 
हैं पाँव उसके चंचल बहुत, रूकें तो पाहन बाख़ूब हैं

जो मिरा इक महबूब है । मत पूछिए क्या ख़ूब है....