भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कालीबंगा-२ / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:32, 18 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>अभी तक बोलता है कालीबंगा के थेहड़ में कौआ परन्तु नहीं उठता कोई …)
अभी तक बोलता है
कालीबंगा के
थेहड़ में कौआ
परन्तु
नहीं उठता कोई
मेहमान की प्रतीक्षा में
मेहमाननवाजी के लिए !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"