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कपाल-क्रिया / लीलाधर मंडलोई
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मां की चिता
बस चिटकती लकडियों की गूंज थी
समय हो चला था
पंडित ने कहा
'कपाल क्रिया'
और थमा दिया एक बेडौल लम्बा मोटा बांस
जाने क्या हुआ
मैंने थाम लिया
भाई का हाथ
और बोला हठात्
'जरा हौले से'
और बन्द कर लीं आंखें
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