भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आशी: / त्रिलोचन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पृथ्वी से

दूब की कलाएं लो

चार


उषा से

हल्दिया तिलक

लो


और

अपने हाथों में

अक्षत लो


पृथ्वी आकाश

जहां कहीं

तुम्हें जाना हो

बढ़ो

बढ़ो


('अरघान' नामक संग्रह से )