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प्रार्थना / मुकेश मानस
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मैं एक पत्ता हूँ
न जाने किस शाख का
टूटा हुआ पत्ता हूँ
मैं उस शाख में जुड़ जाना चाहता हूँ।
मैं एक लहर हूँ
न जाने किस सागर की
छूटी हुई लहर हूँ
मैं उस सागर में घुल जाना चाहता हूँ।
मैं एक पत्थर हूँ
न जाने किस पहाड़ का
उखड़ा हुआ पत्थर हूँ
मैं उस पहाड़ में समा जाना चाहता हूँ।
मैं एक झोंका हूँ
न जाने किस बयार का
भटका हुआ झोंका हूँ
मैं उस बयार में मिल जाना चाहता हूँ।
मैं एक ज़र्रा हूँ
न जाने किस भूमि का
बिछ्ड़ा हुआ ज़र्रा हूँ
मैं उस भूमि में रम जाना चाहता हूँ।
मैं एक धड़कन हूँ
न जाने किस दिल की
खोई हुई धड़कन हूँ
मैं उस दिल में बस जाना चाहता हूँ।
2010