भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुखौटा / लीलाधर मंडलोई

Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:59, 29 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=लिखे में दुक्‍ख / लीलाधर म…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


खूंखार जानवरों के बीच
लकड़ी बीनने वाला
सिर के पीछे तरफ
लगा लेता है मुखौटा

मुखौटे को सच मान
जानवर आक्रमण के पहले
सोचते हैं कईं बार

इस तरह बीन ली जाती हैं लकडियां
जीवन इस तरह
एक दिन और बच जाता है