भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कवि-कविता / अमरजीत कौंके

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:34, 5 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरजीत कौंके |संग्रह=अंतहीन दौड़ / अमरजीत कौंके …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुत बेचैन करती है
कविता
कुलबुलाती
आँतों को चीर कर बाहर आती
नींद में
शोर मचाती
सपनों को तार-तार करती
अँधेरे में बार-बार जगती
आधी रात
जगा देती है कविता

जब सारी दुनिया
बेसुध सोती
तब भी
जागता है कवि

कविता


ता.... ।


मूल पंजाबी से हिंदी में रूपांतर : स्वयं कवि द्वारा