भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

येलेना / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:15, 17 नवम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(येलेना बोन्दोरेवा के लिए)

तुम फूल नहीं हो येलेना
गुलदस्ता हो सितारा नहीं हो
आसमान हो सितारों भरा
बादल नहीं हो
वर्षा हो बूँद नहीं हो
फुहार हो जल की

झपकी नहीं हो तुम
नींद हो भरी पूरी
सिर्फ़ मुस्कान नहीं हो
हँसी हो खिलखिलाती
शब्द नहीं हो
कविता हो कहानी हो गीत हो कोई

अमरूद का पेड़ हो तुम
घर के आँगन में लगा
कुँआ हो घर का
खेत हो क्यारी नहीं

युवाओं का बचपन हो तुम
बूढ़ों की जवानी
तुम वह आत्मीयता हो
जिसका नहीं कोई सानी

(1993)