भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आया बसंत / कविता गौड़

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:07, 23 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता गौड़ |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> आया बसंत, आया बसं…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आया बसंत, आया बसंत
रस माधुरी लाया बसंत
आमों में बौर लाया बसंत
कोयल का गान लाया बसंत
आया बसंत आया बसंत

टेसू के फूल लाया बसंत
मन में प्रेम जगाता बसंत
कोंपले फूटने लगी
राग-रंग ले आया बसंत
आया बसंत आया बसंत

नव प्रेम के इजहार का
मौसम ले आया बसंत
बसंती बयार में
झूमने लगे तन-मन
सोये हुए प्रेम को आके जगाया बसंत
आया बसंत आया बसंत