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अकल-हुसियारी / कुंदन माली
Kavita Kosh से
क्यूं सरणावै डूंज बायरा
क्यूं सरणावै लाम्बा रूंख
क्यूं कर तूटै आभै तारा
क्यूं उठै आ हिवड़ै हूक
क्यूं कर आंख्यां धूल़ो झोंकै
क्यूं कर चालै डोढ़ी चाल
क्यूं कर झांकै अगलां-बगलां
क्यूं कर होवै यूं बेथाल
क्यूं कर ढांके अल्लापल्ला
क्यूं तापै औरां री लाय
क्यूं कर नापै गेल सांकड़ी
क्यूं तोके औरां री हाय
क्यूं कर होई रैण सवाई
क्यूं कर कांपी सांची बात
क्यूं कर होंई बावल़ी सीता
क्यूं थाक्या हरिचंद-परलाद ?