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अगर आपको / रणजीत
Kavita Kosh से
अगर आपको
इफरात में आये हुए फलों के
सड़ने की चिन्ता है
अगर आपको बुरा लगता है
मॉल से बिना भाव जांचे बेजरूरी चीज़ें
थोक में खरीदा जाना
समझ लीजिए कि आप बूढ़े हो गये हैं
अगर आपको
परेशान करती है
बेटी-दामाद की थाली में
बढ़ती हुई और कूड़े में फेेंकी जा रही जूठन
अगर आपको उनकी शोबाजी और अपव्यय
अखरता है
तो समझ लीजिए कि आप बूढ़े हो गये हैं
और कॉरपोरेट जगत के
युवाओं को समझने में असमर्थ हैं।