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अनगढ़ / शेखर सिंह मंगलम
Kavita Kosh से
औरतें कुम्हार के हाथ जैसा पुरुष चाहती हैं
वे भावनात्मक स्तर पे
गीली मिट्टी होने की वज़ह से
पुरुष-प्रेम में कोई भी वाज़िब-ग़ैर-वाज़िब
बदलाव दरियाफ़्त कर लेती हैं।
पुरुष अपनी शख़्सियत में
स्त्री-प्रभाव से बदलाव नहीं चाहता क्योंकि
खुद को कुम्हार समझता है जबकि
वह कुम्हार द्वारा पकाया गया मिट्टी का बर्तन है जो
बदलाव दरियाफ़्त करने के स्थान पे
टूटना पसंद करता है।
कुम्हार के हाथ-सम पुरुष
पृथ्वी पर अपवाद स्वरूप ही विद्यमान हैं।।