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अपनी भाषा / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
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जय हो हिन्दी भाषा की
भारत की निज भाषा की
देवि शारदे दे दो हमको
हिन्दी बिन्दी का अभिमान
मस्तक पर धारण कर इसको
करें निछावर अपने प्राण
पूर्ति बने अभिलाषा की
जय हो हिन्दी भाषा की
अब भारत की धरती अपनी
नील गाग्न भी अपना है
खिले भाव की मधुर चाँदनी
यही हमारा सपना है
हो उन्नति इस भाषा की
जय हो हिन्दी भाषा की