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अभी तक / शरद बिलौरे
Kavita Kosh से
अभी
खिड़की में बत्ती नहीं जली
कवि
अभी तक नहीं आया।
अभी मौहल्ला उदास है
कवि
अभी तक नहीं आया।
अभी लोग जाग रहे हैं
कवि
अभी तक नहीं आया।
अभी बच्चे
झोली वाले बाबा से डरते हैं
कवि
अभी तक नहीं आया।
अभी काग़ज़ पर अंगूठा लगता है
कवि
अभी तक नहीं आया।
अभी किसान आसमान तकता है
कवि
अभी तक नहीं आया।
अभी लोग इंतज़ार करते हैं
कवि
अभी तक नहीं आया।