असमर्थता / उमा अर्पिता
हम वास्तविक जीवन की परिभाषा
कर पाने में असमर्थ हैं/क्योंकि
हमने भविष्य की चिंता के लबादे
को/अपने कंधों पर नहीं लाद रखा!
तुम्हें हम/इस बोझ से लदे/कमर
झुकाकर चलते/किसी वृद्ध
वट वृक्ष की भाँति प्रतीत नहीं होते!
हो सकता है/तुम अपने तर्क पर सही हो
लेकिन/मैं नहीं समझती/ कि अनायास
ही भविष्य के बारे में/ सोच-सोचकर
चिंतित होना कहाँ तक अक्लमंदी है?
यह जानते हुए कि
हर अगला क्षण/देने से पहले कुदरत
पहला क्षण छीन लेती है/और
लाख चाहने पर भी/हम उसे लौटा
लाने में असमर्थ हैं!
मैं अपने वर्तमान को
भरपूर जीने की कोशिश करती हूँ/जीती हूँ!
भविष्य के कई सुंदरतम सपने
मैंने भी बुने हैं/लेकिन
मैं अपने भविष्य को/अविश्वास की गोद
में छोड़कर/जवान नहीं कर रही हूँ।
मैंने अपने भविष्य को/निश्चय के
हाथों में सौंप दिया है।
अगर तुम्हारी नजर में/वर्तमान को भूलकर
भविष्य-भविष्य चिल्लाना ही
वास्तविक जीवन की परिभाषा है,
तो मैं ऐसी परिभाषा को/स्वीकार करने में
कतई असमर्थ हूँ।