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उदास रात / उमा अर्पिता

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रात उदास है
बेहद उदास

जिंदगी क्या है
महज
कब्र की-सी खामोशी...

तुम्हीं कहो दोस्त
आज की रात
दर्द को
कविता में ढालूँ
या फिर
कविता को
दर्द बन जाने दूँ...?