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एक बात / नरेश अग्रवाल
Kavita Kosh से
किसी वृक्ष को क्या परेशानी
उसमें फल आयें चाहे न आयें
या आकर भी झड़ जायें
दिल तो उसका दुखता है
जिसने ये पेड़ लगाये
ऐसा ही होता है
बच्चों के साथ भी
बुढ़ापे में तलाशते हैं
जब हम उनके हाथ
वे एक छड़ी थमाकर
चल देते हैं आगे की तरफ
और हम रोनी सूरत बनाये
जोड़ते रह जाते हैं
अपने पूर्व कर्मों का हिसाब ।