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एक बार / राजुला शाह
Kavita Kosh से
बह जाने देना
उड़ जाने देना
अपने आप को
एक बार
तुम भी।
गुब्बारे-सा
हवा के बुलबुले-सा
हल्का होगा तुम्हारा मन
और कहीं भी जा सकेगा
बिला रोक-टोक
फिर-
प्रेम से इन्तज़ार में
इन्तज़ार से
मौन में
मौन से
निपट शून्य में
और तुम्हें लगेगा,
सबसे ताकतवर हो तुम
ऊपर और ऊपर
और ऊपर
उठते हुए....