भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक वाक्य / धर्मवीर भारती

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चेक बुक हो पीली या लाल,
दाम सिक्के हों या शोहरत -
कह दो उनसे
जो ख़रीदने आये हों तुम्हें
हर भूखा आदमी बिकाऊ नहीं होगा है !