भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कांमण / चंद्रप्रकाश देवल
Kavita Kosh से
आवगी भासा सूं लांठौ है
थारौ संवाद
पण अबार म्हारै सांम्ही
खुल नै पसर्योड़ा नैनासाक कार्ड में समायोड़ी है
थारी सैमूदी बोलती काया
जिकी दिप-दिप कर जावै
बिल्लोरी काच जैड़ा निगोट
म्हारा विचार में
तेड़ घाल जावै।