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कामरेड / गुरप्रीत
Kavita Kosh से
सबसे प्यारा शब्द कामरेड है
कभी कभार
कहता हूँ अपने आप को
कामरेड
मेरे भीतर जागता है
एक छोटा सा कार्ल मार्क्स
इस संसार को बदलना चाहता
जेनी के लिए प्यार कविताएँ लिखता
आखिर के दिनों में बेचना पड़ा
जेनी को अपना बिस्तर तक
फिर भी उसे धरती पर सोना
किसी गलीचे से कम नहीं लगा
लो ! मैं कहता हूँ
अपने आप को कामरेड
लांघता हूँ अपने आप को
लिखता हूँ एक ओर कविता
जेनी को आदर देने के लिए...
कविता दर कविता
सफर में हूँ मैं...