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काळ: 3 / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
ढूवै पड़या
भूंडै ढाळै
डाढता-डाढता
तड़ाछां खाय
रिब-रिब
मरग्या है
ठांण!
ठौड़-ठौड़
फगत
हाडकियां रा
अेहलांण।