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कैसे बुहारूँ / सरोज परमार
Kavita Kosh से
बुहार दिया घर आँगन
पिछवाड़ा,गलियारा
कैसे बुहारूँ?
पीठ का कूबड़,
गाल का मस्सा,
हँसी ठठ्ठा,
अफ़वाहें
जो चिपक गई कई कानों से
कई होंठों तक।