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कोहरे में / प्रयाग शुक्ल

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कोहरे को
भेदकर
लटका है चंद्रमा
किसी तरह ।

आ-जा रहे हैं लोग
जैसे हो छायाएँ--

झूल रहा फटा
हुआ पोस्टर--
(इबारत को पढ़े कौन ?)

चुप गीली पत्तियाँ ।

बसें सरकती हुईं ।
पटरी पर ठंड में
मूंगफली
बेच रहा
लड़का ।

ठिठुरन--
ठिठुरन एक ।
कोहरे में--
शहर एक और ।